मिथिलाक विकासलेल मैथिली कियाक?
मैथिली यदि काम काजक भाषा बनैत अछि, शिक्षामे अबैत अछि त' आश्चर्यजनक परिवर्तन मिथिलामे आओत। जेना सबके विदित अछि नेना भुटका जौं अपन भाषामे शिक्षा पाओत त' ओकर ग्रहण करबाक क्षमता आर कोनो भाषाक शिक्षासँ बेसी हेतै। शिक्षा प्रति अभिरुचि मैथिल बच्चाकेँ साक्षर टा नहि , आगूक शिक्षाक अभिलाषी बनेतै । मैथिली शिक्षामे एला' स' रोजगारक अवसर बढ़त( शिक्षक आ मीडियाटा नहि, आरो द्वार खुलत, खुलय पड़तै इ मैथिलीमे शिक्षा पाओल व्यक्ति एहन जनशक्ति होयत जे अपन भाषालेल लड़त तथा स्थान बनाओत)। मैथिली मे शिक्षाक प्रसार भेलासँ लोक अपन इतिहास, भूगोल ... आदि स' परिचित होयत तथा अखन धरि सत्ता द्वारा पाठ्यक्रम मे मिथिला/ मैथिलीकेँ दूर रखबाक षड्यंत्र चिन्हत।
अपनापर अपन लोकपर, समाजपर गर्व करत आ जातीय राजनीति स' उपर उठि जातीय एकताक परचम लहराओत। अपन राजनैतिक अधिकार प्रति सजग भेनाय के अर्थ अछि अपन क्षेत्रक गरीबी भगेनाय । राजनैतिक अधिकार सजग क्षेत्र के राष्ट्रक नीति निर्माण मे पहुँच रहैत छैक ताहि हेतु विकास होयत छैक। भाषापर काज होयत जेना सब मैथिली बोलीके समावेश क' एकटा बृहद शब्दकोश( encyclopaedia), जाहिसँ भाषा समृद्ध होयत आ अपन भाषा चिन्हत आ सम्मान करत, मानक मैथिलीपर आर काज होयत आ लेखनमे एकबध्यता रहत। मैथिलीक शिक्षा जड़ि पकडलापर मिथिलाक्षरपर सभक धियान आकर्षित होयत आ शनैः शनैः स्थापित होयत।
एकटा ' मैथिली' एहन अस्त्र अछि जाहिसँ सब जाति, धर्म आ वर्गक मैथिलकेँ राजनैतिक अधिकार भेटत। जातीय एकता आओत, आर्थिक विकास होयत। अपन मातृभाषाकेँ नहि त्यागी अहिसँ न' अहाँ आधुनिक होयब न' विद्ववान, मात्र जीवन भरि ग्लानि होयत।
अपनापर अपन लोकपर, समाजपर गर्व करत आ जातीय राजनीति स' उपर उठि जातीय एकताक परचम लहराओत। अपन राजनैतिक अधिकार प्रति सजग भेनाय के अर्थ अछि अपन क्षेत्रक गरीबी भगेनाय । राजनैतिक अधिकार सजग क्षेत्र के राष्ट्रक नीति निर्माण मे पहुँच रहैत छैक ताहि हेतु विकास होयत छैक। भाषापर काज होयत जेना सब मैथिली बोलीके समावेश क' एकटा बृहद शब्दकोश( encyclopaedia), जाहिसँ भाषा समृद्ध होयत आ अपन भाषा चिन्हत आ सम्मान करत, मानक मैथिलीपर आर काज होयत आ लेखनमे एकबध्यता रहत। मैथिलीक शिक्षा जड़ि पकडलापर मिथिलाक्षरपर सभक धियान आकर्षित होयत आ शनैः शनैः स्थापित होयत।
एकटा ' मैथिली' एहन अस्त्र अछि जाहिसँ सब जाति, धर्म आ वर्गक मैथिलकेँ राजनैतिक अधिकार भेटत। जातीय एकता आओत, आर्थिक विकास होयत। अपन मातृभाषाकेँ नहि त्यागी अहिसँ न' अहाँ आधुनिक होयब न' विद्ववान, मात्र जीवन भरि ग्लानि होयत।
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