एक दिन वो घड़ी आएगा
जब कोई मेरा सुननेवाला नहीं होगा
जब कोई मेरे लिए चिल्लानेवाला नहीं होगा।
उस पल मै , उस समय मै
अपवाद -विवाद से मुक्त हो जाऊँगा
वीच भवडमे.... वीच रास्ते मे
सबको छोड़ जाऊँगा।
उस समय मै
सायद किसीके भावनाओंको न देख पाऊं
सायद किसीके बातोंको न सुन पाऊं
सायद किसीके एह्सासोंको न महसूस कर पाऊं
हर चीज़से विराम लूंगा ....
अपना पहिचान ,स्वाभिमान ,सम्मान
हर चीज़को मिटा दूंगा।
बस् एक छोटा सा अभिलाषा रह जायेगा
मै जो जिश लिए आया था ,
जो करने आया था
वो पूरा न हो सका
अधूरा रह गया..........
A Poem By,
©Abhijeet Chaudhary
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